षडशीत्यधिकद्वशततम (286) अध्याय: वन पर्व (रामोपाख्यान पर्व)
महाभारत: वन पर्व: षडशीत्यधिकद्वशततम अध्यायः श्लोक 20-29 का हिन्दी अनुवाद
यह राम सेतु द्वारा समुद्र को लाँघकर हम लोगों की अवहेलना करके वानरों के साथ यहाँ आ पहुँचा है और राक्षसों का महासंहार कर रहा है। मैंने इसकी पत्नी जनककुमारी सीता का अपहरण किया था। उसे वापस लेने के लिये ही राम महासागर पर पुल बाँधकर यहाँ आया है। उसने हमारे प्रहस्त आदि प्रमुख स्वजनों को मार डाला है। शत्रुसूदन! तुम्हारे सिवा दूसरा कोई ऐसा नहीं है, जो उसको मार सके। बलवानों में श्रेष्ठ वीर! तुम शत्रुओं का दमन करने वाले हो। आज कवच धारण करके निकलो तथा राम आदि समस्त शत्रुओं का समरभूमि में संहार कर डालो। दूषण के छोटे भाई वज्रवेग और प्रमाथी अपनी विशाल सेना के साथ तुम्हारा अनुसरण करेंगे’। वेगशाली वीर कुम्भकर्ण से ऐसा कहकर राक्षसराज रावण ने वज्रवेग और प्रमाथी को युद्ध में क्या-क्या करना है, इन सब बातों को समझाया और उनके पालन का आदेश दिया। दूषण के दोनों वीर भाई रावण से ‘तथास्तु’ कहकर कुम्भकर्ण को आगे करके तुरंत नगर से बाहर निकले।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अनतर्गत रामोपाख्यानपर्व में कुम्भकर्ण का युद्ध के लिये प्रस्थान विषयक दो सौ छियासीवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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