पंचत्वारिंशदधिकशततम (145) अध्याय: उद्योग पर्व (भगवद्-यान पर्व)
महाभारत: उद्योग पर्व: पंचत्वारिंशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 1-12 का हिन्दी अनुवाद
कुन्ती का कर्ण को अपना प्रथम पुत्र बताकर उससे पाण्डवपक्ष में मिल जाने का अनुरोध
इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अन्तर्गत भगवद्यानपर्व में कुन्ती और कर्ण की भेंट के प्रसंग में एक सौ पैंतालीसवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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