महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 48 श्लोक 1-16

अष्टचत्वारिंश(48) अध्याय: शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व)

Prev.png

महाभारत: शान्ति पर्व: अष्टचत्वारिंश अध्याय: श्लोक 1-16 का हिन्दी अनुवाद
परशुरामजी द्वारा होने वाले क्षत्रिय संहार के विषय में राजा युधिष्ठिर का प्रश्न

वैशम्पायनजी कहते हैं - राजन्! तदनन्तर भगवान् श्रीकृष्ण, राजा युधिष्ठिर, कृपाचार्य आदि सब लोग तथा शेष चारों पाण्डव ध्वजा-पताकाओं से सुशोभित एवं शीघ्रगामी घोड़ों द्वारा संचालित नगराकार विशाल रथों से शीघ्रतापूर्वक कुरुक्षेत्र की ओर बढ़े। वे सब लोग केश, मज्जा और हड्डियों से भरे हुए करुक्षेत्र में उतरे, जहाँ महामनस्वी क्षत्रियवीरों ने अपने शरीर का त्याग किया था। वहाँ हाथियों और घोड़ों के शरीरों तथा हड्डियों के अनेकानेक पहाड़ों जैसे ढेर लगे हुए थे। सब ओर शंख के समान सफेद नरमुण्डों की खोपडि़याँ फैली हुई थीं। उस भूमि में सहस्रों चिताएँ जली थीं, कवच और अस्त्र-शस्त्रों से वह स्थान ढका हुआ था। देखने पर ऐसा जान पड़ता था, मानों वह काल के खान-पान की भूमि हो और काल ने वहाँ खान-पान करके उच्छिष्ट करके छोड़ दिया हो। जहाँ झुंड-के-झुंड भूत विचर रहे थे और राक्षसगण निवास करते थे, उस कुरुक्षेत्र को देखते हुए वे सभी महारथी शीघ्रतापूर्वक आगे बढ़ रहे थे। रास्ते में चलते-चलते ही महाबाहु भगवान् यादवनन्दन श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को जमदग्निकुमार परशुरामजी का पराक्रम सुनाने लगे-। ‘कुन्तीनन्दन! ये जो पाँच सरोवर कुछ दूर से दिखायी देते हैं, ‘राम-ह्रद’ के नाम से प्रसिद्ध हैं इन्हीं में उन्होंने क्षत्रियों के रक्त से अपने पितरों का तर्पण किया था। ‘शक्तिशाली परशुरामजी इक्कीस बार इस पृथ्वी को क्षत्रियों से शून्य करके यहीं आने के पश्चात् अब उस कर्म से विरक्त हो गये हैं’। युधिष्ठिर ने पूछा - प्रभो! आपने यह बताया है कि पहले परशुरामजी ने इक्कीस बार यह पृथ्वी क्षत्रियों से सूनी कर दी थी, इस विषय में मुझे बहुत बड़ा संदेह हो गया है। अमित पराक्रमी यदुनाथ! जब परशुरामजी ने क्षत्रियों का बीज तक दग्ध कर दिया, तब फिर क्षत्रिय जाति की उत्पति कैसे हुई? यदुपुगंव! महात्मा भगवान् परशुराम ने क्षत्रियों का संहार किस लिये किया और उसके बाद इस जाति की वृद्धि कैसे हुई? वक्ताओं में श्रेष्ठ श्रीकृष्ण! महारथयुद्ध के द्वारा जब करोड़ो क्षत्रिय मारे गये होंगे, उस समय उनकी लाशों से यह सारी पृथ्वी ढक गयी होगी। यदुसिंह! भृगुवंशी महात्मा परशुराम ने पूर्वकाल में कुरुक्षेत्र में यह क्षत्रियों का संहार किस लिये किया? गरुड़ध्वज श्रीकृष्ण! इन्द्र के छोटे भाई उपेन्द्र! आप मेरे संदेह का निवारण कीजिये; क्योंकि कोई भी शास्त्र आपसे बढ़कर नहीं हैं। वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! राजा युधिष्ठिर के इस प्रकार पूछने पर गदाग्रज भगवान् श्रीकृष्ण ने अप्रतिम तेजस्वी युधिष्ठिर से वह सारा वृत्तांत यथार्थ रूप से कह सुनाया कि किस प्रकार यह सारी पृथ्वी क्षत्रियों की लाशों से ढक गयी थी।


इस प्रकार श्रीमहाभारत शान्तिपर्व के अन्तर्गत राजधर्मानुशासनपर्व में परशुराम के उपाख्यान का आरम्भविषयक अड़तालीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः