त्रयोविंश (23) अध्याय: कर्ण पर्व
महाभारत: कर्ण पर्व: त्रयोविंश अध्याय: श्लोक 1-22 का हिन्दी अनुवाद
भारत! इतने में ही आपके पुत्र ने उस महासमर में सहदेव पर तुरंत ही चौसठ बाण चलाये। राजन! सहदेव ने रणभूमि में वेग से आते हुए उन बहुसंख्यक बाणों में से प्रत्येक को पाँच-पाँच बाण मारकर काट गिराया। इस प्रकार आपके पुत्र के चलाये हुए उन महाबाणों का निवारण करके युद्धस्थल में सहदेव ने उसके ऊपर भी बहुत से बाण छोड़े। आपके पुत्र ने भी सहदेव के उन बाणों में से प्रत्येक को तीन-तीन बाणों से काटकर पृथ्वी को विदीर्ण-सी करते हुए बड़े जोर से गर्जना की। राजन! इसके बाद दुःशासन ने रणभूमि में पाण्डु कुमार सहदेव को घायल करके उन माद्रीकुमार के सारथि को भी नौ बाण मारे। महाराज! इससे कुपित होकर प्रतापी सहदेव ने अपने धनुष पर मृत्यु, काल और यमराज के समान भयंकर बाण रखा। फिर उस धनुष को बलपूर्वक खींचकर उसने आपके पुत्र पर वह बाण छोड़ दिया। राजन! वह बाण दुःशासन को तथा उनके विशाल कवच को भी वेगपूर्वक विदीर्ण करके बाँबी में घुसने वाले सर्प के समान धरती में समा गया। महाराज! इससे आपका महारथी पुत्र मूर्च्छित हो गया। उसे मुर्छित देख उसका सारथि तीखे बाणों की मार खाकर अत्यन्त भयभीत हो तुरंत ही रथ को रणभूमि से दूर हटा ले गया। कुरुवंशी दुःशासन को रणभूमि में पराजित करके पाण्डु नन्दन सहदेव ने दुर्योधन की सेना को वहाँ उपस्थित देख उसे सब ओर से मथ डाला। भरतवंशी नरेश! जैसे मनुष्य रोष में ओर चींटियों के दल को मसल डालता है, उसी प्रकार सहदेव ने उस कौरव सेना को धूल में मिला दिया। इस प्रकार श्रीमहाभारत में कर्णपर्व में सहदेव और दुःशासन का युद्ध विषयक तेईसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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