नवतितम (90) अध्याय: कर्ण पर्व
महाभारत: कर्ण पर्व: नवतितम अध्याय: श्लोक 1-11 का हिन्दी अनुवाद
नरेश्वर! उस समय वहाँ अस्त्रसमूहों से आच्छादित होकर सारा प्रदेश सब ओर से भयंकर प्रतीत होने लगा। कर्ण और अर्जुन ने अपने बाणों की वर्षा से आकाश को ठसाठस भर दिया। तदनन्तर समस्त कौरवों और सोमकों ने भी देखा कि वहाँ बाणों का विशाल जाल फैल गया है। बाण जनित उस भयानक अन्धकार में उस समय उन्हें दूसरे किसी प्राणी का दर्शन नहीं होता था। राजन! सम्पूर्ण धनुर्धारियों में श्रेष्ठ वे दोनों नरवीर उस भयानक समर में अपने शरीरों का मोह छोड़कर बड़ा भारी परिश्रम कर रहे थे, वे दोनों ही शत्रुओं के लिये दुर्जय थे। युद्ध में तत्पर होकर एक दूसरे के छिद्रों की ओर दृष्टि रखने वाले उन दोनों वीरों को देखकर देवता, ऋषि, गन्धर्व, यक्ष और पितर सभी हर्ष में भरकर उनकी प्रशंसा करने लगे। राजन! निरन्तर अनेकानेक बाणों का संधान और प्रहार करते हुए वे दोनों धनुर्धर वीर सिद्ध किये हुए विविध अस्त्रों द्वारा युद्ध में अद्भुत पैंतरे दिखाने लगे। इस प्रकार संग्राम भूमि में जूझते समय उन दोनों वीरों में पराक्रम, अस्त्र संचालन, मायावल तथा पुरुषार्थ की दृष्टि से कभी सूतपुत्र कर्ण बढ़ जाता था और कभी किरीटधारी अर्जुन। युद्धस्थल में एक दूसरे पर प्रहार करने का अवसर देखते हुए उन दोनों वीरों का दूसरों के लिये दुःसह वह घोर आघात-प्रत्याघात देखकर रणभूमि में खडे़ हुए समस्त योद्धा आश्चर्य से चकित हो उठे। नरेन्द्र! उस समय आकाश में स्थित हुए प्राणी कर्ण और अर्जुन दोनों की प्रशंसा करने लगे। वाह रे कर्ण! शाबाश अर्जुन! यही बात अन्तरिक्ष में सब ओर सुनायी देने लगी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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