महाभारत विराट पर्व अध्याय 67 श्लोक 1-9

सप्तषष्टितम (67) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: सप्तषष्टितम अध्याय: श्लोक 1-9 का हिन्दी अनुवाद


विजयी अर्जुन और उत्तर का राजधानी की ओर प्रस्थान

वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! इस प्रकार बैल सी विशाल आँखों वाले अर्जुन उस समय युद्ध में कौरवों को जीतकर विराट का वह महान गोधन लौटा लाये। जब कौरव दल के लोग चले गये या इधर उधर सब दिशाओं में भाग गये, उस समय बहुत से कौरव सैनिक जो घने जंगल में छिपे हुए थे, वहाँ से निकल कर डरते-डरते अर्जुन के पास आये। उनके मन में भय समा गया था। वे भूखे प्यासे और थके माँदे थे। परदेश मे होने के कारण उनके हृदय की व्याकुलता और बढ़ गयी थी। वे उस समय केश खोले और हाथ जोड़े हुए खड़े दिखायी दिये। वे सब-के-सब अर्जुन को प्रणाम करके घबराये हुए बोले- ‘कुन्ती नन्दन! हम आपकी क्या सेवा करें? अर्जुन! हम आपसे हृदय के भीतर छिपे हुए अपने प्राणों की रक्षा के लिये याचना करते हैं। हम लोग आपके दास और अनाथ हैं; अतः आपको सदा हमारी रक्षा करनी चाहिये’।

अर्जुन ने कहा- सैनिकों! जो लोग अनाथ, दुखी, दीन, दुर्बल, पराजित, अस्त्र शस्त्रों को नीचे डाल देने वाले, प्राणों से निराश एवं हाथ जोड़कर शरणागत होते हैं, उन सबको मैं नहीं मारता हूँ। तुम्हारा भला हो। तुम कुशल पूर्वक घर लौट जाओ। तुम्हें मेरी ओर से किसी प्रकार का भय नहीं होना चाहिये। मैं संकट में पड़े हुए मनुष्यों को नहीं मारना चाहता। इस बात के लिये मैं तुम्हें पूरा - पूरा विश्वास दिलाता हूँ।

वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! अर्जुन की वह अभय दान युक्त वाणी सुनकर वहाँ आये हुए समस्त योद्धाओं ने उन्हें आयु, कीर्ति तथा सुयश बढ़ाने वाले आशीर्वाद देते हुए उनका अभिनन्दन किया। उस समय अर्जुन शत्रुओं को छोड़कर- उन्हें जीवन दान दे, मद की धारा बहाने वाले हाथी की भाँति मस्ती की चाल से विराट नगर की ओर लौटे जा रहे थे। कौरवों को उन पर आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ। कौरवों की सेना मेघों की घटा सी उमड़ आयी थी; किंतु शत्रुहन्ता पार्थ ने उसे मार भगाया। इस प्रकार शत्रु सेना को परास्त करके अर्जुन ने उत्तर को पुनः हृदय से लगाकर कहा- ‘तात! तुम्हारे पिता के समीप समस्त पाण्डव निवास करते हैं, यह बात अब तक तुम्हीं को विदित हुई है; अतः तुम नगर में प्रवेश करके पाण्डवों की प्रशंसा न करना, नहीं तो मत्स्यराज डरकर प्राण त्याग देंगे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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