महाभारत कर्ण पर्व अध्याय 37 श्लोक 32-45
महाभारत: कर्ण पर्व: अष्टत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-19 का हिन्दी अनुवाद
‘यदि अर्जुन को दिखाने वाला पुरुष उस धन को पूर्ण नहीं समझेगा तो उसे और भी उत्तम धन, श्वेत रंग के पाँचसौ घोड़े दूंगा, जो सोने के साज-बाज से सुसज्जित तथा विशुद्ध मणियों के आभूषणों से विभूषित होंगे। ‘इनके सिवा, अठारह और घोड़े भी दूँगा, जो अच्छी तरह रथ में सधे हुए होंगे। जो मुझे अर्जुन का पता बता देगा, उसे मैं परम उज्ज्वल और अलंकारों से सजाया हुआ एक सुवर्णमय रथ दूँगा, जिसमें अच्छी नस्ल के काबुली घोड़े जुते होंगे। यदि अर्जुन को दिखाने वाला पुरुष उसे भी पूरा न समझे तो उसे मैं और भी श्रेष्ठ धन दूँगा। नाना प्रकार के सुवर्णमय आभूषणों से सुशोभित तथा सोने की मालाओं से अलंकृत छः सौ ऐसे हाथी प्रदान करूँगा, जो भारतवर्ष की पश्चिमी सीमा के जंगलों में उत्पन्न हुए हैं और जिन्हें गजशिक्षकों ने अच्छी तरह सुशिक्षित कर लिया है। ‘यदि अर्जुन को दिखाने वाला पुरुष उसे भी पूरा न समझे तो मैं उसे दूसरा श्रेष्ठ धन प्रदान करूँगा। जिनमें वैश्य निवास करते हों। ऐसे चौदह समृद्धशाली और धन सम्पन्न ग्राम दूँगा, जिनके आस-पास जंगल और जल की सुविधा होगी और जहाँ किसी प्रकार का भय नहीं होगा। वे चौदहों गाँव अधिक सम्पन्न तथा राजोचित भोगों से परिपूर्ण होंगे। ‘जो मुझे अर्जुन का पता बता देगा, उसे मैं सोने के कण्ठहारों से विभूषित मगध देश की सौ नवयुवती दासी दूँगा। ‘यदि अर्जुन को दिखाने वाला पुरुष उसे भी पर्याप्त न समझे तो मैं उसे दूसरा वर प्रदान करूँगा, जिसकी वह स्वयं इच्छा करे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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