षड्-विंश (26) अध्याय: शल्य पर्व (ह्रदप्रवेश पर्व)
महाभारत: शल्य पर्व: षड्-विंश अध्याय: श्लोक 1-22 का हिन्दी अनुवाद
मान्यवर नरेश! तदनन्तर क्रोध में भरे हुए श्रुतर्वा ने गीध की पांख और झुकी हुई गांठ वाले सौ बाणों से भीमसेन को बींध डाला। यह देख भीमसेन क्रोध से जल उठे और उन्होंने रणभूमि में विष और अग्नि के समान भयंकर तीन बाणों द्वारा जैत्र, भूरिबल और रवि- इन तीनों पर प्रहार किया। उन बाणों द्वारा मारे गये वे तीनों महारथी वसन्त ऋतु मे कटे हुए पुष्पयुक्त पलाश के वृक्षों की भाँति रथों से पृथ्वी पर गिर पड़े। इसके बाद शत्रुओं को संताप देने वाले भीमसेन ने दूसरे तीखे भल्ल से दुर्विमोचन को मारकर मृत्यु के लोक में भेज दिया। रथियों में श्रेष्ठ दुर्विमोचन उस भल्ल की चोट खाकर अपने रथ से भूमि पर गिर पड़ा, मानो पर्वत के शिखर पर उत्पन्न हुआ वृक्ष वायु के वेग से टूट कर धराशायी हो गया हो। तदनन्तर भीमसेन ने आपके पुत्र दुष्प्रधर्ष और सुजात को रणक्षेत्र में सेना के मुहाने पर दो-दो बाणों से मार गिराया। वे दोनों महारथी वीर बाणों से सारा शरीर बिंध जाने के कारण रणभूमि में गिर पड़े। तत्पश्चात आपके पुत्र दुर्विषह को संग्राम में चढ़ाई करते देख भीमसेन ने एक भल्ल से मार गिराया। उस भल्ल की चोट खाकर दुर्विषह सम्पूर्ण धनुर्धरों के देखते-देखते रथ से नीचे जा गिरा। युद्धस्थल में एक मात्र भीम के द्वारा अपने बहुत-से भाइयों को मारा गया देख श्रुतर्वा अमर्ष के वशीभूत हो भीमसेन का सामना करने के लिये आ पहुँचा। वह अपने सुवर्णभूषित विशाल धनुष को खींचकर उसके द्वारा विष और अग्नि के समान भयंकर बहुतेरे बाणों की वर्षा कर रहा था। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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