त्रयोविंश (23) अध्याय: द्रोण पर्व (संशप्तकवध पर्व)
महाभारत: द्रोण पर्व: त्रयोविंश अध्याय: श्लोक 1-19 का हिन्दी अनुवाद
पाण्डव सेना के महारथियों के रथ, घोड़े, ध्वज तथा धनुषों का विवरण
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ घोड़े, ध्वजा आदि
- ↑ नीलकंठी टीका में अश्व शास्त्र के अनुसार घोड़ों के रंग और लक्षण आदि का परिचय दिया गया है। उसमें से कुछ आवश्यक बातें यहाँ यथास्थान उद्धृत की जाती हैं। सारंग सूचित करने वाला रंग इस प्रकार है-
सितनीलारुणो वर्ण: सारंग सदृशश्च स:। - ↑ सफेद, नीले और लाल
- ↑ कबूतर का रंग बताने वाला रंग यों मिलता है-
पारावतकपोताभ: सितनीलसमंवयात् - ↑ सफेद और नीले
- ↑ काम्बोज(काबुल) के घोड़ों का लक्षण-
महाललाटजघनस्कन्धवक्षोजवा: हया:।
दीर्घग्रीवायता ह्रस्वमुष्का: काम्बोज: स्मृता:॥
जिनके ललाट, जाँघें, कन्धे, छाती औए वेग महान होते हैं, गर्दन लम्बी और चौड़ी होती है और अण्डकोष बहुत छोटे होते हैं वे काबुली घोड़े माने गये हैं। - ↑ जिस घोड़े के ललाट के मध्य भाग में तारा के समान श्वेत चिह्न हो, उसके उस चिह्न का नाम ललाम है। उससे युक्त ललाम ही कहलाता है। यथा-
श्वेतं ललाटमध्यस्थं तारारूपं हयस्य यत्।
ललामं चापि तत्प्राहुर्ललामोअश्वस्तदंवित:॥ - ↑ 'हरि' का लक्षण इस प्रकार दिया गया है-
सकेशराणि रोमाणि सुवर्णाभानि यस्य तु।
हरि: स वर्णतोअश्वस्तु पीतकौशेयसंनिभय:॥
जिसकी गर्दन के बड़े-बड़े बाल और शरीर के रोएँ सुनहरे रंग के हो, जो रेशमी पीताम्बर के समान जान पड़ता हो, वह घोड़ा हरि कहलाता है।
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