महाभारत विराट पर्व अध्याय 50 श्लोक 1-11

पंचाशत्तम (50) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: पंचाशत्तम अध्याय: श्लोक 1-11 का हिन्दी अनुवाद


अश्वत्थामा के उद्गार

अश्वत्थामा ने कहा - कर्ण! अभी तो हमने न गौओं को जीता है, न मत्स्य देश की सीमा के बाहर जा सके हैं और न हस्तिनापुर में ही पहुँच गये हैं। फिर तुम इतनी व्यर्थ बकवाद क्यों कर रहे हो ?। विद्वान् पुरुष बहुत सी लड़ाइयाँ जीतकर, असंख्य धनराशि पाकर तथा शत्रुओं की सेना को परास्त करके भी इस तरह व्यर्थ वकबाद नहीं करते। आग बिना कुछ कहे सुन ही सबको जलाकर भस्म कर देती है, सेर्यदेव मौन रहकर ही प्रकाशित होते हैं, पृथ्वी चुप रहकर ही सम्पूर्ण चराचर लोकों को धारण करती है ( इनमें से कोई अपने पराक्रम की प्रशंसा नहीं करता )। ब्रह्माजी ने चारों वर्णों के कर्म नियत कर दिये हैं, जिनसे धन भी मिल सकता है और जिनका अनुष्ठान करने से कर्ता दोष का भागी नहीं होता। ब्राह्मण वेदों को पढ़कर यज्ञ करावे अथवा करे।

क्षत्रिय धनुष का आश्रय लेकर धन कमाये और यज्ञ करे; परंतु वह दूसरों का यज्ञ न करावे ( क्योंकि यह काम ब्राह्मणों का है )। वैश्य कृषि और व्यापार आदि के द्वारा धनोपार्जन करके ब्राह्मणों के द्वारा वेदोक्त कर्म करावें और शूद्र वैतसी वृत्ति ( बेंत के वृक्ष की भाँति नम्रता ) का आश्रय ले प्रणाम और आज्ञा पालन आदि के द्वारा सदा तीनों वर्णों के पास रहकर उनकी सेवा करे। महान् सौभाग्यशाली श्रेष्ठ पुरुष शास्त्र की आज्ञा के अनुसार बर्ताव करते हुए न्याय से इस पृथ्वी को प्राप्त करके भी अत्यन्त गुणहीन गुरुजनों का भी सत्कार करते हैं ( और यहाँ अन्याय से राज्य लेकर गुणवान् गुरुजनों का भी तिरस्कार हो रहा है )।

भला जूए से राज्य पाकर कौन क्षत्रिय संतुष्ट हो सकता है ? परंतु इस धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन को इसी में संतोष है; क्योंकि यह क्रूर और निर्दयी है। जैसे व्याघ्र शठता और छल कपट से भरे हुए उपायों द्वारा जीवन निर्वाह करता है, उस प्रकार कपटपूर्ण वृत्ति से धन पाकर कौन बुद्धिमान् पुरुष अपने ही मुँह से अपनी बड़ाई करेगा ?।राजा दुर्योधन! तुमने जिन पाण्डवों का धन कपटद्वद्यूत के द्वारा हर लिया है, उनमें से धनंजय, नकुल या सहदेव किसको कब युद्ध में हराया है ? वह कौन सा द्वन्द्व युद्ध हुआ था, जिसमें तुमने अर्जुन आदि में से किसी को जीता हो ? धर्मराज युधिष्ठिर अथवा बलवानों में श्रेष्ठ भीमसेन तुम्हारे द्वारा किस युद्ध में परास्त किये गये हैं ? आज जिस इन्द्रप्रस्थ पर तुम्हारा अधिकार है, उसे पहले तुमने किस युद्ध में जीता था?।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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