सप्तपन्चाशत्तम (57) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)
महाभारत: शल्य पर्व: सप्तपन्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 1-18 का हिन्दी अनुवाद
दुर्योधन और भीमसेन को पुनः गदा उठाये देख उनमें से किसी एक की विजय के सम्बन्ध में समस्त प्राणियों के हृदय में संशय उत्पन्न हो गया। बलवानों में श्रेष्ठ उन दोनों भाइयों में जब पुनः भिड़न्त हुई तो दोनों ही दोनों के चूकने का अवसर देखते हुए पैंतरे बदलने लगे। राजन! उस समय युद्धस्थल में जब भीमसेन अपनी गदा घुमाने लगे, तब दर्शकों ने देखा, उनकी भारी गदा यमदण्ड के समान भयंकर है। वह इन्द्र के वज्र के समान ऊपर उठी हुई है और शत्रु को छिन्न-भिन्न कर डालने में समर्थ है। गदा घुमाते समय उसकी घोर एवं भयानक आवाज वहाँ दो घड़ी तक गूंजती रही। आपका पुत्र दुर्योधन अपने शत्रु पाण्डु कुमार भीमसेन को वह अनुपम वेगशालिनी गदा घुमाते देख आश्चर्य में पड़ गया। भरतनन्दन! वीर भीमसेन भाँति-भाँति के मार्गों और मण्डलों का प्रदर्शन करते हुए पुनः बड़ी शोभा पाने लगे। वे दोनों परस्पर भिड़कर एक दूसरे से अपनी रक्षा के लिये प्रयत्नशील हो रोटी के टुकड़ों के लिये लड़ने वाले दो बिलावों के समान बारंबार आघात-प्रतिघात कर रहे थे। उस समय भीमसेन नाना प्रकार के मार्ग और विचित्र मण्डल दिखाने लगे। वे कभी शत्रु के सम्मुख आगे बढ़ते और कभी उसका सामना करते हुए ही पीछे हट आते थे। विचित्र अस्त्र-यन्त्रों और भाँति-भाँति के स्थानों का प्रदर्शन करते हुए वे दोनों शत्रु के प्रहारों से अपने को बचाते, विपक्षी के प्रहार को व्यर्थ कर देते और दायें-बायें दौड़ लगाते थे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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