त्रिचत्वारिंश (43) अध्याय: उद्योग पर्व (सनत्सुजात पर्व)
महाभारत: उद्योग पर्व: त्रिचत्वारिंश अध्याय: श्लोक 1-12 का हिन्दी अनुवाद
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वाणी का संयम और परमात्मा का स्वरूप
- ↑ ’ऋग्यजु:सामभि: पूतो ब्रह्मलोके महीयते।' (ॠग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद से पवित्र होकर ब्राह्मण ब्रह्मलोक में प्रतिष्ठित होता है;) इत्यादि वेदवचन वेदवेत्ता ब्राह्मणों के पवित्र एवं निष्पाप होने की बात कहते हैं।
- ↑ सकामभाव से
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