तप | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- तप (बहुविकल्पी) |
हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार तप का असली अर्थ है त्याग, जो मनुष्य अपनी सांसारिक आकांक्षाओं और अपने दुर्गुणों का त्याग कर दे, तो वह सच्चा तपस्वी है। जिसका मन और हृदय पवित्र हो जाता है, वह स्वतः ही भक्ति के मार्ग पर चल पड़ता है। उस पर भगवान कृपा करने को आतुर हो उठते हैं।[1]जो मनुष्य महीने पंद्रह दिन उपवास करके उसे तप मानते हैं, उनका वह कार्य धर्म के साधनभूत शरीर का शोषण करने वाला है, अत: श्रेष्ठ पुरुषों के मत में वह तप नहीं है उनके मत में तो त्याग और विनय ही उत्तम तप है। इनका पालन करने वाला मनुष्य नित्य उपवासी और सदा ब्रह्माचारी है।[2]