देवव्रत

Disamb2.jpg देवव्रत एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- देवव्रत (बहुविकल्पी)
आजन्म ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा करते देवव्रत

देवव्रत महाभारत के प्रमुख नायकों में गिने जाने वाले गंगा के पुत्र भीष्म का ही नाम था। गंगा ने जब भीष्म को हस्तिनापुर नरेश शांतनु को सौंपा, तब वे देवव्रत नाम से ही जाने जाते थे, किन्तु अपनी विवाह न करने की भीषण प्रतिज्ञा के कारण देवव्रत 'भीष्म' नाम से विख्यात हुए।

पौराणिक कथा

महाभारत तथा पौराणिक कथाओं के अनुसार- महाराज शांतनु ने अपने पुत्र देवव्रत को अपना युवराज घोषित कर दिया था। फिर शांतनु ने कैवर्तराज की पुत्री सत्यवती से विवाह का प्रस्ताव रखा, किन्तु कैवर्तराज ने यह शर्त रख दी कि- "उनकी पुत्री के गर्भ से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का उत्तराधिकारी बनेगा।" महाराज शांतनु ने कैवर्तराज की यह शर्त नहीं मानी, किंतु वे सत्यवती के प्रति अपनी आसक्ति से मुक्त न हो सके, इस कारण उदास रहने लगे।[1]

देवव्रत द्वारा प्रतिज्ञा

देवव्रत को जब यह पता चला, तब वे कैवर्तराज के पास अपने पिता के विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुँचे। युवराज देवव्रत ने कैवर्तराज के समक्ष प्रतिज्ञापूर्वक कहा- "मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि तुम्हारी कन्या से जो पुत्र पैदा होगा, वही राज्य का अधिकारी होगा।" कैवर्तराज को इस वचन से संतोष नहीं हुआ। उन्होंने देवव्रत से कहा- "मुझे आप पर तो विश्वास है, किंतु यह शंका है कि आगे आपकी संतान सत्यवती के पुत्र को सत्ता से वंचित न कर दे?" तब देवव्रत ने कहा- "मुझे पुत्र न हो, इसके लिए मैं आजन्म ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा करता हूँ।" देवव्रत की ऐसी भीषण प्रतिज्ञा सुनकर सभी रोमांचित हो उठे। देवताओं ने उन पर पुष्पों की वर्षा करते हुए कहा- "यह भीष्म हैं, यह भीष्म हैं।" दृढ़ प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत अब भीष्म के नाम से जाने गए।


Seealso.jpg इन्हें भी देखें: भीष्म, महाभारत, शांतनु, गंगा, हस्तिनापुर, पांडव एवं कौरव


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दृढ़ प्रतिज्ञा से देवव्रत बने भीष्म (हिन्दी) जागरण। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2015।

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