प्रलय

प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना या भूखण्ड या ब्रह्माण्ड का मिट जाना, नष्ट हो जाना।

  • प्रकृति का ब्रह्म में लय हो जाना ही प्रलय है। यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड ही प्रकृति कही गई है। इसे ही शक्ति कहते हैं।
  • प्रलय चार प्रकार के होते है- पहला किसी भी धरती पर से जीवन का समाप्त हो जाना, दूसरा धरती का नष्ट होकर भस्म बन जाना, तीसरा सूर्य सहित ग्रह-नक्षत्रों का नष्ट होकर भस्मीभूत हो जाना और चौथा भस्म का ब्रह्म में लीन हो जाना अर्थात फिर भस्म भी नहीं रहे, पुन: शून्यावस्था में हो जाना।
  • हिन्दू शास्त्रों में मूल रूप से प्रलय के चार प्रकार बताए गए हैं-
  1. नित्य
  2. नैमित्तिक
  3. द्विपरार्ध
  4. प्राकृत



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