प्रभास नामक वसु हिन्दू धर्मग्रंथों में मान्य आठ वसुओं में सबसे छोटे हैं। 'वसु' पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवताओं का एक गण है, जिसके अंतर्गत आठ देवता माने गये हैं। 'श्रीमद्भागवत' के अनुसार दक्ष प्रजापति की पुत्री तथा धर्म की पत्नी के गर्भ से ही सब वसु उत्पन्न हुए थे। महाभारत के प्रसिद्ध चरित्रों में से एक और महाराज शांतनु के पुत्र भीष्म भी आठ वसुओं में से एक थे।
आठ वसु
हिन्दू पौराणिक महाकाव्य 'महाभारत' के अनुसार आठ वसु हैं-
- 'श्रीमद्भागवत' के अनुसार 'द्रोण', 'प्राण', 'ध्रुव', 'अर्क', 'अग्नि', 'दोष', 'वसु' और 'विभावसु' आठ नाम हैं।
पौराणिक कथा
आठ वसुओं के बारे में एक विचित्र कथा भी मिलती है। कथा के अनुसार इन आठ वसुओं में सबसे छोटे वसु 'प्रभास' ने एक दिन वसिष्ठ की गायों को लालचवश चुरा लिया। वशिष्ठ मुनि ने इनको पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दे दिया। कोई भी वसु पृथ्वी पर जन्म लेना नहीं चाहता था, इसीलिए उन्होंने ब्रह्मर्षि वसिष्ठ से क्षमा माँगी। उनके क्षमा माँग लेने पर वसिष्ठ ने सात से कहा कि- "तुम पृथ्वी पर जन्म लेने के कुछ ही समय बाद मृत्यु को प्राप्त करोगे, किन्तु मेरी गायों को चुराने वाला प्रभास लंबे समय तक पृथ्वी लोक पर ही रहेगा। इसका ना तो विवाह होगा और ना ही कोई संतान होगी।"
यही प्रभास नामक वसु बाद में भीष्म कहलाये, जिन्होंने जीवन भर विवाह ना करने की प्रतिज्ञा की थी। उनकी माता गंगा ने जो सात पुत्र पैदा होते ही गंगा में बहा दिए थे, वह सातों वसु ही थे। केवल प्रभास ही बचा था।