शूद्र | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- शूद्र (बहुविकल्पी) |
शूद्र भारतीय समाज व्यवस्था में चतुर्थ वर्ण या जाति है। वायु पुराण[1], वेदांतसूत्र[2] और छांदोग्य एवं वेदांतसूत्र के शांकरभाष्य में शुच और द्रु धातुओं से शूद्र शब्द व्युत्पन्न किया गया।
- वायु पुराण का कथन है कि शोक करके द्रवित होने वाले परिचर्यारत व्यक्ति शूद्र हैं।
- भविष्यपुराण में श्रुति की द्रुति (अवशिष्टांश) प्राप्त करने वाले शूद्र कहलाए।[3] दीर्घनिकाय में खुद्दाचार (क्षुद्राचार) में सुद्द शब्द संबद्ध किया गया।[4] होमर के द्वारा उल्लिखित 'कूद्रों' से शूद्र शब्द जोड़ने का भी प्रयत्न हुआ।[5]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वायुपुराण 1, 8, 158
- ↑ वेदांतसूत्र 1, 3, 34
- ↑ वेदांतसूत्र- 1, 44, 33
- ↑ वेदांतसूत्र- 3, 95
- ↑ वाकरनागेल, द्रष्टव्य रामशरण शर्मा, पृ. 35