ओघवती | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- ओघवती (बहुविकल्पी) |
ओघवती हिन्दू धार्मिक ग्रंथ 'महाभारत' के अनुसार अम्बाला ज़िले में बहने वाली मार्कण्ड नामक नदी का पौराणिक नाम है। यह हिन्दू ग्रंथों में पवित्र मानी जाने वाली सरस्वती नदी की ही एक शाखा थी।
- पौराणिक उल्लेखानुसार महाभारत युद्ध के बाद सभी पांडव व वीर दुर्योधन की छावनी में घुस आये और खजाना, रत्नों की ढेरी व भंडार घर पर अधिकार कर लिया। चांदी, सोना, मोती, मणि अच्छे-अच्छे आभूषण मूल्यवान कंबल, मृगचर्म और राज्य के बहुत सारे सामान वहाँ से उन्हें हाथ लगे। उस समय अक्षय धन का भंडार पाकर पांडव खुशी से फूले न समाये।[1]
- श्रीकृष्ण ने कहा- "आज की रात में हम लोगों को अपने मंगल के लिए छावनी के बाहर रहना चाहिए। बहुत अच्छा कहकर पांडव श्रीकृष्ण और सात्यकि के साथ छावनी से बाहर निकल गए। उन्होंने परम पवित्र ओघवती नदी के किनारे वह रात बिताई।
- 'मत्स्यपुराण' में ओघवती नदी को पितरों के श्राद्ध आदि के लिए पवित्र बताया गया है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 28 |
- ↑ दुर्योधन के मरने के बाद युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण को क्यों भेजा हस्तिनापुर? (हिन्दी) बॉलीवुड भास्कर। अभिगमन तिथि: 12 दिसम्बर, 2015।
- ↑ मत्स्यपुराण 22.71