ताम्रपर्णी | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- ताम्रपर्णी (बहुविकल्पी) |
ताम्रपर्णी हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार मद्रास प्रान्त के तिनेवली ज़िले की एक नदी है, जिसका स्थानीय नाम “परुणै” है।
- इसका उद्गम स्थल अगस्त्य पर्वत है।
- महाभारत वन पर्व के अनुसार यहाँ मोक्ष पाने की इच्छा से देवताओं ने आश्रम में रहकर बड़ी भारी तपस्या की थी।[1]
- मौर्य सम्राट अशोक के मुख्य अशोक के शिलालेख दो और तेरह में तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अध्याय ग्यारह में भी ताम्रपर्णी नदी का नामोल्लेख है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 51 |
- ↑ महाभारत वन पर्व अध्याय 88 श्लोक 1-18
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 394 |