चाक्षुषी विद्या

चाक्षुषी विद्या का उल्लेख महाभारत में मिलता है। महाभारत के उल्लेखानुसार यह विद्या पांडव अर्जुन को अंगारपण[1] नामक एक गंधर्व ने सिखाई थी। चाक्षुषी विद्या के प्रभाव से अर्जुन तीनों लोकों के पदार्थों को प्रत्यक्ष देख सकने में समर्थ हो गए थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण पृ. 103

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