सरमा

सरमा का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार ये देवताओं की एक कुतिया का नाम था।

  • देवशुनी के नाम से इसका उल्लेख महाभारत में हुआ है।[1]
  • ऋगवेद के अनुसार यह इन्द्र की कुतिया तथा यमराज के चार आँख वाले कुत्तों की माता है। कहते है कि पणि लोग इन्द्र की गौएँ चुरा ले गये थे और इसी की सहायता से गौएँ फिर मिल गयी थीं। यह ऋगवेद के एक मंत्र की द्रष्ट्री भी कही गयी है।
  • महाभारत आदि पर्व के अनुसार यह पीटे गये पुत्र के दु:ख से दु:खी होकर सर्पसत्र में गयी थी।
  • इसने जनमेजय को शाप दिया था।
  • इसके शाप से राजा जनमेजय बहुत घबराये थे।[2]
  • महाभारत सभा पर्व के अनुसार यह ब्रह्माजी की सभा में रहकर उनकी उपासना करती थी।[3]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 512 |

  1. महाभारत आदि पर्व 3.1
  2. महाभारत आदि पर्व 3.7-10
  3. महाभारत सभा पर्व 11.40

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