वरदान शब्द का कई हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों तथा मान्यतानुसार, "किसी देवता या महात्मा आदि के किसी व्यक्ति से प्रसन्न होने पर उसको अभीष्ट वस्तु या सिद्धि का दान करने को ही वरदान कहा जाता है।"
- महाभारत में उल्लेख मिलता है कि कौरवों तथा पांडवों के पितामह भीष्म को शांतनु से 'इच्छामृत्यु' का 'वरदान' मिला था।
- कौरवों की माता गांधारी को सौ पुत्रों की माता बनने का 'वरदान' प्राप्त था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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