शतद्रु

शतद्रु अथवा शतद्रू पंजाब की सतलुज नदी का प्राचीन नाम है। ऋग्वेद के नदीसूक्त मे इसे 'शुतुद्रि' कहा गया है-

'इमं मे गंगे यमुने सरस्वती शुतुद्रि स्तोमं सचता परुषण्या असिक्न्यामरुद्वृधे वितस्तयर्जीकीये शृणृह्या सुषोमया।'[1]
  • वैदिक काल में सरस्वती नदी शतद्रु में ही मिलती थी।[2][3]
  • परवर्ती साहित्य में इसका प्रचलित नाम 'शतद्रु' या 'शतद्रू'[4] मिलता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऋग्वेद, नदीसूक्त 10,75,5
  2. मेकडानाल्ड- हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिट्रेचर, पृ. 142
  3. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 887 |
  4. सौ शाखाओं वाली

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