लवण

लवण अम्लों व क्षारकों की परस्पर क्रिया से लवण बनता हैं। साधारण नमक, जिसे सोडियम क्लोराइड कहते हैं, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल व सोडियम हाइड्रोक्साइड की परस्पर अभिक्रिया से बनता है। इसके अतिरिक्त, पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट कुछ अन्य लवण है।

  • महाभारत आदि पर्व के अनुसार श्रेष्ठ ब्राह्मण कहते हैं। जो स्त्री साध्‍वी होती है, वह अपने पति की मृत्‍यु हो जाने के बाद ब्रह्मचर्य के पालन में अविचल भाव से लगी रहती है, यम और नियमों के पालन का क्‍लेश सहन करती है और मन, वाणी एवं शरीर द्वारा किये जाने वाले शुभ कर्मों तथा कृच्‍छ्र चान्‍द्रायणदि व्रत, उपवास और नियमों का अनुष्ठान करती है। वह क्षार (पापड़ आदि) और 'लवण' का त्‍याग करके एक बार ही भोजन करती और भूमि पर शयन करती है। वह जिस प्रकार से अपने शरीर को सुखाने के प्रयत्न में लगी रहती है। किंतु विषयों के द्वारा नष्‍ट हुई बुद्धि वाली जो नारी देह को पुष्‍ट करने में ही लगी रहती है, वह तो इस (दुर्लभ मनुष्‍य-) शरीर को व्‍यर्थ ही नष्ट करके नि:संदेह महान् नरक को प्राप्त होती है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 150 |

  1. महाभारत आदि पर्व अध्याय 124 श्लोक 29

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