नन्दीश्वर

नन्दी

नन्दीश्वर भगवान शिव के द्वार-रक्षक और वाहन (बैल) हैं। ये पूर्व जन्म में शांतकायन मुनि के पुत्र थे।[1][2]

पौराणिक उल्लेख

नन्दी के बिना शिव तत्त्व का उद्देश्य समझना कठिन है। भगवान शिव के भक्त और वाहन नन्दी का शाब्दिक अर्थ है- "हर्ष, प्रसन्नता" आदि। 'शिवपुराण' के अनुसार ऋषि सनत्कुमार ने भगवान शिव के अनुचर नन्दी से पूछा कि आप भगवान शिव के अंश से कैसे उत्पन्न हुए और आपने शिवत्व को कैसे प्राप्त किया, इसके विषय में मुझे कृपा करके कुछ बताएं। इसके पश्चात् भगवान नन्दी ने अपने संदर्भ में बताते हुए कहा कि जब ऋषि शिलाद को पितरों के उद्धार की इच्छा से संतान प्राप्ति की इच्छा हुई, तब शिलाद ने देवराज इंद्र की प्रसन्नता के लिए तप किया।

इंद्र ने प्रसन्न होकर शिलाद से कहा, ‘मैं आपकी तपस्या से प्रसन्न हूं, आप वर मांगो।’ शिलाद ने कहा, ‘हे देवराज इंद्र, यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो आप मुझे एक अयोनिज अमर पुत्र दीजिए।’ इंद्र ने कहा, ‘हे मुनिश्रेष्ठ मैं तुम्हें अयोनिज मृत्यरहित पुत्र नहीं दे सकता। मैं, देवराज इंद्र और ब्रह्मा-विष्णु कोई भी आपकी इस कामना को पूर्ण नहीं कर सकते।’ अत: इस प्रकार के पुत्र की इच्छा से महादेव भगवान शिव की अराधना करो, वे ही तुम्हें ऐसा पुत्र देंगे। इनके अनन्तर ऋषि शिलाद भगवान महादेव की तपस्या में संलग्न हो गए। ऋषि की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने उन्हें वर देते हुए कहा, ‘हे तपस्वी ब्राह्मण! मैं तुम्हारे घर नन्दी नामक अयोनिज पुत्र के रूप में प्रकट होऊंगा और तुम तीनों लोकों के पिता हो जाओगे।’


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वायुपुराण 77.63; भागवतपुराण 10.63.6
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 258 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः