विकर्ण | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- विकर्ण (बहुविकल्पी) |
विकर्ण हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक महारथी पुत्र था। दुर्योधन के इस भाई का वध कुरुक्षेत्र में पांडव भीम द्वारा हुआ।[1] महाभारत के युद्ध में शामिल एकमात्र ऐसा कौरव था जिसने आजीवन धर्म का साथ दिया। जहाँ प्रत्येक कौरव अधर्मी होकर अपने ही परिवार के विरुद्ध षडयंत्र रच रहा था वहीं विकर्ण ऐसा कौरव था जिसने अपने अन्य भाइयों के विरुद्ध जाकर धर्म स्थापना के लिए पुरेजोर से कोशिश की लेकिन इसके बावजूद महाभारत में विकर्ण को ज्यादा स्थान नहीं दिया गया था।[2]
- विकर्ण दुर्योधन के 99 भाईयों में से एक था। वह एक न्यायपूर्ण व्यक्ति था।
- उसने चित्रयुद्ध और चित्रयोधिन का वध किया था। अपने अन्य भाईयों के समान उसका वध भी भीम द्वारा किया गया।
- विकर्ण धृतराष्ट्र का महारथि पुत्र था, वह कौरव पक्ष के ग्यारह महारथियों में से एक था।
- द्रौपदी स्वयंवर में विकर्ण उपस्थित था। यह बड़ा न्यायी था एवं द्रौपदी वस्त्रहरण के समय, विदुर की तरह इसने भी इस पापकर्म की ओर घृणा प्रकट की थी।
- महाभारत के युद्ध में विकर्ण का सहदेव, घटोत्कच तथा नकुल आदि के साथ युद्ध हुआ। अंत में भीमसेन ने उसका वध किया। उसके लिए भीम ने काफ़ी दुःख प्रकट किया था।
टीका टिप्पणी
- ↑ महाभारत आदिपर्व 63.119; 67.94
- ↑ State Profile (हिन्दी) (अध्यात्म का पहला पड़ाव) Speaking Tree.in। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2016।