गर्ग

Disamb2.jpg गर्ग एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- गर्ग (बहुविकल्पी)

गर्ग हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत महाकाव्य के अनुसार एक ऋषि थे।

  • एक प्राचीन ज्योतिषवेत्ता 'उतथ्य' के पुत्र थे जिनके पुत्र का नाम गार्ग्य और पुत्री का नाम गार्गी था।
  • यह यादवों के पुरोहित थे वसुदेव की प्रार्थना पर नन्द के ब्रज गये थे और इन्होंने शेषनाग से ज्योतिषशास्त्र सीखा था।
  • भागवतानुसार श्रीकृष्ण और बलराम का नामकरण इन्होंने ही किया था[1]। यह इन दोनों के 'उपनयन संस्कार' में भी सम्मिलित थे। इन्होंने ही उन्हें गायत्री मंत्र का उपदेश दिया था[2]
  • महाभारत में युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी यह आमांत्रित थे[3]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 43 |

  1. भागवतपुराण 10,8.1-20; विष्णुपुराण 2.5.26; वायु पुराण 6.7-9
  2. भागवतपुराण 45.26-29
  3. भागवतपुराण 10.74.8

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