उपनन्द | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- उपनन्द (बहुविकल्पी) |
उपनन्द हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार युधिष्ठिर के रथ की ध्वजा से संलग्न एक मृदंग था।
- ध्वजा में नन्द-उपनन्द नामक दो विशाल एवं दिव्य मृंदग लगे हुए थे, वे यन्त्र के द्वारा बिना बजाये बजते थे और सुन्दर शब्द का विस्तार करके सबका हर्ष बढ़ाते है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 24 |
- ↑ महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 23 श्लोक 84-98