यज्ञसेन

यज्ञसेन पांचाल के राजा और परिशत के पुत्र थे। इनका एक नाम (द्रुपद) भी था। ये शिखंडी, धृष्टद्युम्नद्रौपदी के पिता थे। भीष्म, द्रोणाचार्य, और यज्ञसेन तीनों परशुराम के शिष्य थे।

पांचाल के राजा द्रुपद आचार्य द्रोण के सहपाठी थे तथा दोनों में गहरी मित्रता थी। द्रुपद ने उनसे वायदा किया था कि राजा बनने पर वे द्रोण को आधा राज्य दे देंगे, पर राजा बनने पर उन्होंने न केवल अपना वायदा भुला दिया, अपितु द्रोण का अपमान भी किया। तभी से द्रोण के मन में द्रुपद से बदला लेने की भावना घर कर गई थी।

राजा द्रुपद से प्रतिशोध

एक दिन द्रोणाचार्य ने सभी राजकुमारों को बुलाकर शस्त्र-विद्या की शिक्षा के बदले गुरुदक्षिणा माँगी। उन्होंने द्रुपद को पकड़कर अपने सामने लाने की आज्ञा दी। गुरु की आज्ञा मानकर पांडवों ने पांचाल राज्य पर आक्रमण कर दिया तथा द्रुपद को पकड़कर द्रोण के सामने उपस्थित किया। इस प्रकार द्रोण ने द्रुपद से बदला ले लिया। बाद में द्रुपद ने भी अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया तथा उन्हें धृष्टद्युम्न नामक पुत्र पैदा हुआ। जिसने महाभारत के युद्ध नें द्रोणाचार्य का वध किया।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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