सुबल | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सुबल (बहुविकल्पी) |
सुबल गांधार देश का राजा था। सौ कौरवों की माता गांधारी राजा सुबल की पुत्री और शकुनि पुत्र था, जिसने पग-पग पर दुर्योधन को पांडवों के विरुद्ध बहकाने का कार्य किया।
- राजा सुबल को ज्योतिषियों ने बताया था कि गांधारी का विवाह होते ही उसके पति का देहांत हो जायेगा। इसलिए सुबल ने पहले एक भेड़े के साथ गांधारी का विवाह कराया। विवाह के बाद भेड़े की मृत्यु हो गई। उसके बाद धृतराष्ट्र के साथ गांधारी का विवाह किया गया।
- यह बात दुर्योधन को उस समय पता चली, जब भीम ने दुर्योधन का 'विधवा का गोलक' कहकर परिहास किया।
- दुर्योधन भीम द्वारा स्वयं का परिहास किये जाने पर क्रोधित हो उठा। वह सुबल और शकुनि को बन्दी बनाकर हस्तिनापुर ले आया और उनको कारागार में डालकर भयंकर यातनाएँ दीं।
- सुबल तपोबल की कुछ महिमाएँ रखता था। उसने अपनी मृत्यु के पहले शकुनि को समझाया कि वह उसकी अस्थियों से पासे बनाकर उनके द्वारा दुर्योधन से प्रतिकार करे। उन पासों की यह विशेषता होगी कि जिस अंक की कामना से वह पासा फेंकेगा, वही अंक प्रत्यक्ष हो जायेगा।
- शकुनि के पासों के महत्त्व को दुर्योधन ने कारागार के पहरेदारों के द्वारा जान लिया और उसने अपने मामा शकुनि को कारागार से मुक्त करके उसको अपना मंत्री बना लिया।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णुपुराण 18 (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 01 अगस्त, 2013।