दक्षिणमल्ल का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में पाण्डव भीम की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में विजित राष्ट्रों में हुआ है-
'ततो दक्षिणमल्लांश्च भोगवंतं च पर्वतम्। तरमैवाजयद् भीमो नातितीव्रेण कर्मणा'[1]
- दक्षिणमल्ल का उल्लेख वत्सभूमि के पश्चात् तथा विदेह के पूर्व हुआ है।
- बौद्ध काल में मल्लदेश वर्तमान गोरखपुर ज़िले, उत्तर प्रदेश के परिवर्ती क्षेत्र में बसा हुआ था।
- ऐसा जान पड़ता है कि 'महाभारत' में, जैसा कि प्रसंग से सूचित होता है, इसी प्रदेश को दक्षिणमल्ल कहा गया है।
- संभव है उस समय यही प्रदेश उत्तरी और दक्षिणी भागों में विभाजित रहा हो।