गंधर्व

गन्धर्व पुराणानुसार देवताओं का एक भेद है, जो स्वर्ग में रहते हैं तथा उनसे तीन पाद कम ऐश्वर्य वाले हैं। ये यक्ष, राक्षस तथा पिशाचों की तरह अर्ध देवता हैं। चित्ररथ इनका स्वामी कहा गया है।[1][2]

  • गन्धर्व वेदों में अकेला देवता था, जो स्वर्ग के रहस्यों तथा अन्य सत्यों का उद्घाटन किया करता था। वह सूर्याग्नि का प्रतीक भी माना गया है।
  • वैदिक, जैन, बौद्ध धर्म ग्रन्थों आदि में गन्धर्व और यक्षों की उपस्थिति बताई गई है।
  • गन्धर्वों का अपना लोक है। पौराणिक साहित्य में गन्धर्वों का एक देवोपम जाति के रूप में उल्लेख हुआ है।
  • जब गन्धर्व-संज्ञा जातिपरक हो गई, तब गन्धर्वों का अंतरिक्ष में निवास माना जाने लगा और वे देवताओं के लिए सोम रस प्रस्तुत करने लगे।
  • नारियों के प्रति उनका विशेष अनुराग था और उनके ऊपर वे जादू-सा प्रभाव डाल सकते थे।
  • अथर्ववेद में ही गन्धर्वों की संख्या 6333 बतायी गई है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्रह्माण्डपुराण 3.7.167-70, 255; 8.10; 24.59; 4.36.16; मत्स्यपुराण 6.45; 8.6
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 144 |

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