चतुःसप्ततितम (74) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
महाभारत: भीष्म पर्व: चतुःसप्ततितम अध्याय: श्लोक 1-21 का हिन्दी अनुवाद
यह भयंकर कर्म करके फिर धनुष लिये वीर सात्यकि ने युद्धस्थल में भूरिश्रवा पर आक्रमण किया। सात्यकि ने आपकी सेना को मार गिराया है, यह देखकर कुरुकुल की कीर्ति बढ़ाने वाला भूरिश्रवा अत्यन्त कुपित हो उनकी ओर दौड़ा। उसका विशाल धनुष इन्द्र के धनुष के समान बहुरंगा था। महाराज! उसे खींचकर भूरिश्रवा ने अपने हस्त-लाघव का परिचय देते हुए वज्र के समान दुःसह और विषैले सर्पों के तुल्य भयंकर सहस्रों बाण छोड़े। उन बाणों का स्पर्श मृत्यु के तुल्य था। राजन्! उस समय सात्यकि के साथ आये हुए सैनिक उन सायकों का वेग न सह सके। नरेश्वर! युद्धभूमि में वे रण-दुर्मद सात्यकि को वहीं छोड़कर सब ओर भाग निकले। सात्यकि के दस महाबलवान् पुत्र थे। उनके कवच, आयुध और ध्वज सभी विचित्र थे। वे सब-के-सब महारथी कहे जाते थे। वे युद्धस्थल में यूपचिह्नित ध्वज वाले महारथी भूरिश्रवा को देखकर उसके पास गये और अत्यन्त क्रोधपूर्वक उससे इस प्रकार बोले- 'महाबली कौरव पुत्र! आओ, इस संग्राम भूमि में हम सब लोगों के साथ अथवा पृथक्-पृथक् एक एक के साथ युद्ध करो। या तो तुम युद्ध में हमें पराजित करके यश प्राप्त करो अथवा हम तुम्हें परास्त करके पिता की प्रसन्न्ता बढ़ायेंगे'। तब उन शूरवीरों के ऐसा कहने पर अपने पराक्रम की श्लाघा करने वाला महाबली नरश्रेष्ठ भूरिश्रवा उन्हें युद्ध के लिये उपस्थित देख उनसे इस प्रकार बोला- 'वीरो! यदि तुम्हारा ऐसा विचार है तो तुम लोगों ने यह बड़ी अच्छी बात कही है। तुम सब लोग एक साथ सावधान होकर यत्नपूर्वक युद्ध करो। मैं इस रणभूमि में तुम सब लोगों को मार गिराऊँगा'। भूरिश्रवा के ऐसा कहने पर शीघ्रता करने वाले उन महाधनुर्धर वीरों ने बड़ी भारी बाण-वर्षा करते हुए शत्रुदमन भूरिश्रवा पर आक्रमण किया। संजय कहते हैं- महाराज! अपरान्हकाल में उस समरागंण में एकत्र हुए बहुत से वीरों के साथ एक वीर का भयंकर युद्ध प्रारम्भ हुआ। नरेश्वर! जैसे मेघ वर्षाकाल में मेरुपर्वत पर जल की बूँदें बरसाते हैं, उसी प्रकार उन सबने मिलकर रथियों में श्रेष्ठ एकमात्र भूरिश्रवा पर बाणों की वर्षा आरम्भ की। उनके छोड़े हुए यमदण्ड और वज्र के समान प्रकाशित होने वाले भयंकर बाणों को अपने पास पहुँचने से पहले ही महारथी भूरिश्रवा ने बिना किसी घबराहट के शीघ्रतापूर्वक काट गिराया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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