महाभारत विराट पर्व अध्याय 58 श्लोक 1-13

अष्टपंचाशत्तम (58) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

Prev.png

महाभारत: विराट पर्व: अष्टपंचाशत्तम अध्याय: श्लोक 1-13 का हिन्दी अनुवाद


अर्जुन का द्रोणाचार्य के साथ युद्ध और आचार्य का पलायन

वैशम्पायनजी कहते हैं - जनमेजय! जब कृपाचार्य रण भूमि से बाहर हटा लिये गये, तब लाल घोड़ों वाले दुर्धर्ष वीर आचार्य द्रोण ने धनुष - बाण लेकर श्वेतवाहन अर्जुन पर धावा किया। सुवर्णमय रथ पर आरूढ़ गुरुदेव को अपने निकट आते देख विजयी वीरों में श्रेष्ठ अर्जुन उत्तर से इस प्रकार बोले।

अर्जुन ने कहा - सारथे! तुम्हारा कल्याण हो। जिस रथ की ध्वजा में ऊँचे डंडे के ऊपर पताका से विभूषित यह ऊँची सुवर्णमयी वेदी प्रकाशित हो रही है, वहाँ आचार्य द्रोण की सेना है। मुझे वहीं ले चलो। जिनके श्रेष्ठ रथ में जुते हुए सब प्रकार की शिक्षाओं में निपुण, चिकने, मूँगे के समान लाल रंग के, ताँबे से मुख वाले, सुन्दर तथा अच्छे ढेग से रथ का भार वहन करने वाले बड़े बड़े अश्व सुशोभित हो रहे हैं, वे महातेजस्वी दीर्घबाहु, बल एवं रूप से सम्पन्न तथा समसत संसार में विख्यात पराक्रमी प्रतापी वीर भरद्वाज नन्दन द्रोण हैं।

ये बुद्धि में शुक्राचार्य और नीति में बृहापति के समान हैं। मारिष ( अमर कोष )! इनमें चारों वेद, ब्रह्मचर्य, संहार - विधि सहित सम्पूर्ण दिव्यास्त्र और समसत धनुर्वेद सदा प्रतिष्ठित है। इन विप्र शिरोमणि में क्षमा, इन्द्रिय संयम, सत्य, कोमलता, सरलता तथा अन्य बहुत से सद्गुण नित्य विद्यमान हैं। अतः मैं इन्हीं महाभाग आचार्य के साथ इस समर भूमि में युद्ध करना चाहता हूँ। अतः उत्तर! रथ बढ़ाओ और मुण्े शीघ्र उन आचार्य के समीप पहुँचा दो।

वैशम्पायनजी कहते हैं - राजन्! अर्जनम के इस प्रकार आदेश देने पर विराट नन्दन उत्तर ने सोने के आभूषणों से विभूषित उन अश्वों को आचार्य द्रोण के रथ की ओर हाँक दिया। महा रथियों श्रेष्ठ पाण्डु नन्दन अर्जुन को बड़े वेग से अपनी ओर आते देख आचार्य द्रोण भी पार्थ की ओर आगे बढ़ आये, ठी उसी तरह जैसे एक उत्मत्त गजराज दूसरे मतवाले गजराज से भिड़ने के लिये जा रहा हो। तदनन्तर द्रोण ने सौ नगाड़ों के बराबर आवाज करने वाले अपने शंख को बजाया। उसे सुनकर सारी सेना में हलचल मच गयी, मानो समुद्र में ज्वार आ गया हो। रण भूमि में उन लाल रंग के सुन्दर घोड़ों को हंस के समान वर्ण वाले मन के सदृश वेगशाली श्वेत घोड़ों से मिला देख युद्ध करने के विषय में सब लोग आश्चर्य में पड़ गये।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः