तृतीय (3) अध्याय: शल्य पर्व (ह्रदप्रवेश पर्व)
महाभारत: शल्य पर्व: तृतीय अध्याय: श्लोक 1-15 का हिन्दी अनुवाद
राजन! सूतपुत्र कर्ण के मारे जाने पर आपके सब पुत्र अचेत हो वहाँ से भागने लगे। उन सब के कवच नष्ट हो गये थे। उन्हें इतनी भी सुध नहीं रह गयी थी कि हम कहाँ और किस दिशा में जायँ। वे सब लोग एक दूसरे पर चोट करते और भय से सम्पूर्ण दिशाओं की ओर देखते हुए ऐसा समझते थे कि अर्जुन और भीमसेन मेरे ही पीछे लगे हुए हैं। भारत! ऐसा सोचकर वे हर्ष और उत्साह खो बैठते तथा लड़खड़ाकर गिर पड़ते थे।। कुछ महारथी भय के मारे घोड़ों पर, दूसरे लोग हाथियों पर और कुछ लोग रथों पर आरूढ़ हो पैदलों को वहीं छोड़ बड़े वेग से भागे। भागते हुए हाथियों ने बहुत-से रथ तोड़ डाले, बड़े-बड़े़ रथों ने घुड़सवारों को कुचल दिया और दौड़ते हुए अश्व समूहों ने पैदल सैनिकों को अत्यन्त घायल कर दिया। जैसे सर्पों और लुटेरों से भरे हुए जंगल में अपने साथियों से बिछुड़े हुए लोग अनाथ के समान भटकते हैं, वही दशा उस समय सूतपुत्र कर्ण के मारे जाने पर आपके सैनिकों की हुई। कितने ही हाथियों के सवार मारे गये, बहुत से गजराजों की सूँडे़ काट डाली गयीं, सब लोग भय से पीड़ित होकर सम्पूर्ण जगत को अर्जुनमय देख रहे थे। भीमसेन के भय से पीड़ित हुए समस्त सैनिकों को भागते देख दुर्योधन हाय-हाय! करके अपने सारथि से इस प्रकार कहा-। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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