एकोनाशीतितम (79) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
महाभारत: भीष्म पर्व: एकोनाशीतितम अध्याय: श्लोक 1-17 का हिन्दी अनुवाद
ऐसा कहकर भीमसेन ने अपने भयंकर धनुष को बारंबार घुमाकर उसे बलपूर्वक खींचा और वज्र के समान तेजस्वी भयंकर बाणों को उसके ऊपर रखा। वे सीधे जाने वाले बाण वज्र तथा प्रज्वलित आग की लपटों के समान जान पड़ते थे। उनकी संख्या छब्बीस थी। कुपित हुए भीमसेन ने उन सबको शीघ्रतापूर्वक दुर्योधन पर छोड़ दिया। तत्पश्चात् भीमसेन ने दो बाणों से दुर्योधन का धनुष काट दिया, दो से उसके सारथि को पीड़ित किया और चार बाणों से उसके वेगशाली घोड़ों को यमलोक भेज दिया। नरश्रेष्ठ! फिर शत्रुमर्दन भीम ने धनुष को अच्छी तरह खींचकर छोडे़ हुए दो बाणों द्वारा समरभूमि में राजा दुर्योधन के छत्र को काट दिया। इसके बाद अपनी प्रभा से प्रकाशित होने वाले उसके उत्तम ध्वज को छः बाणों से खण्डित कर दिया। आपके पुत्र के देखते-देखते उस ध्वज को काटकर भीमसेन उच्च स्वर से सिंहनाद करने लगे। दुर्योधन के नाना रत्नविभूषित रथ से वह शोभाशाली ध्वज सहसा कटकर पृथ्वी पर गिर पड़ा, मानो मेघों की घटा से भूमि पर बिजली गिरी हो। कुरुराज दुर्योधन के उस सूर्य के समान प्रज्वलित नाग चिह्नित मणिमय सुन्दर ध्वज को कटकर गिरते समय समस्त राजाओं ने देखा। इसके बाद महारथी भीम ने मुसकराते हुए से रणभूमि में वीरवर दुर्योधन को दस बाणों से उसी तरह घायल किया, जैसे महावत अंकुशों से महान् गजराज को पीड़ा देता है। तदनन्तर रथियों में श्रेष्ठ सिन्धुराज महारथी जयद्रथ ने कुछ सत्पुरुषों के साथ आकर दुर्योधन के पृष्ठभाग की रक्षा का कार्य सँभाला। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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