अष्टनवतितम (98) अध्याय: शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व)
महाभारत: शान्ति पर्व: अष्टनवतितम अध्याय: श्लोक 1-10 का हिन्दी अनुवाद
अम्बरीष ने पूछा- देवराज! मैं समुद्रपर्यन्त सारी पृथ्वी का विधिपूर्वक शासन और संरक्षण करता था। शास्त्री की आज्ञा के अनुसार धर्म की कामना से चारों वर्णों के पालन में तत्पर रहता है। मैंने घोर ब्रह्मचर्य का पालन करके गुरु के बताये हुए आचार और गुरु की सेवा के द्वारा धर्म पूर्वक वेदों का अध्ययन किया तथा राजशास्त्र की विशेष शिक्षा प्राप्त की। सदा ही अन्न-पान देकर अतिथियों का, श्राद्ध कर्म करके पितरों का, स्वाध्या की दीक्षा लेकर ऋषियों का तथा उत्तमोत्तम यज्ञों का अनुष्ठान करके देवताओं का पूजन किया। देवेन्द्र! मैं शास्त्रोक्त विधि के अनुसार क्षत्रिय धर्म में स्थित होकर सेना की देख-भाल करता और युद्ध में शत्रुओं पर विजय पाता था। देवराज! यह सुदेव पहले मेरा सेनापति था शान्त स्वभाव का एक सैनिक था फिर यह मुझे लाँघकर कैसे जा रहा है? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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