महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 24 श्लोक 1-7

चतुर्विश (24) अध्याय: भीष्म पर्व (श्रीमद्भगवतद्गीता पर्व)

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महाभारत: भीष्म पर्व: चतुर्विश अध्याय: श्लोक 1-7 का हिन्दी अनुवाद


सैनिकों के हर्ष और उत्साह के विषय में धृतराष्ट्र और संजय का संवाद


धृतराष्ट्र ने पूछा- संजय! उस समय किस पक्ष योद्धा अत्यन्त हर्ष में भरकर पहले युद्ध में प्रवृत्त हए। किनके मन में उत्साह भरा था और कौन-कौन मनुष्य दीन एवं अचेत हो रहे थे। संजय हृदय को कम्पित कर देने वाले संग्राम में किन्होंने पहले संग्राम किया, मेरे पुत्रों ने या पाण्डवों ने। यह मुझे बताओ। किसकी सेनाओं में सुगन्धित पुष्पमाला आदि का प्रादुर्भाव हुआ। किस पक्ष के गर्जते हुए योद्धाओं की वाणी उदारतापूर्ण और उत्साहयुक्त थीं।

संजय ने कहा- राजन्। दोनों ही सेनाओं के योद्धा उस समय हर्ष में भरे हुए थे। उभयपक्ष में ही सुगन्ध और पुष्पहारों का प्रादुर्भाव हुआ था। भरतश्रेष्ठ! संगठित, व्यूहबद्ध तथा युद्धविषयक उत्साह से उद्यत हुए दोनों दलों के योद्धाओं की जब मुठभेड़ हुई, उस समय बड़ी भारी मार-काट मची थी। राजन्! शंक और मेरी आदि वाद्यों का सम्मिलित भयंकर शब्द जब एक दूसरे पर गर्जन-तर्जन करने वाले रणवीर शूरों के सिंहनाद से मिला, तब दोनों सेनाओं में महान कोलाहल एवं संघर्ष होने लगा। भरतभूषण! एक-दूसरे की ओर देखने वाले योद्धाओं, गर्जते हुए हाथियों और हर्ष में भरी हुई सेनाओं का तुमुल नाद सर्वत्र व्याप्त हो रहा था।

इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अंतर्गत श्रीमद्भगवद्गीतापर्व में धृतराष्ट्रसंजयसंवाद विषयक चौबीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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