अष्टम (8) अध्याय: शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व)
महाभारत: शान्ति पर्व: अष्टम अध्याय: श्लोक 31-37 का हिन्दी अनुवाद
राजन्! यदि आप यज्ञ नहीं करेंगे तो आपको सारे राज्य का पाप लगेगा। जिस देशों के राजा दक्षिणायुक्त अश्वमेध यज्ञ के द्वारा भगवान का यजन करते हैं, उनके यज्ञ की समाप्ति पर उन देशों के सभी लोग वहाँ आकर अवभृथस्नान करके पवित्र होते हैं। सम्पूर्ण विश्व जिनका स्वरूप है, उन महादेव जी ने सर्व मेघ नामक महायज्ञ में सम्पूर्ण भूतों की तथा स्वयं अपनी भी आहुति दे दी थी। यह क्षत्रियों के लिये कल्याण का सनातन मार्ग है। इसका कभी अन्त नहीं सुना गया है। राजन्! यह वह महान् मार्ग है, जिस पर दस रथ चलते हैं, आप किसी कुत्सित मार्ग का आश्रय न लें।
इस प्रकार श्रीमहाभारत शान्तिपर्व के अन्तर्गत राजधर्मानुशासन पर्व में अर्जुनवाक्य-विषयक आठवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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