महाभारत द्रोणपर्व अध्याय 155 श्लोक 21-42

पंचपंचाशदधिकशततम (155) अध्याय: द्रोण पर्व (घटोत्कचवध पर्व)

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महाभारत: द्रोणपर्व: पंचपंचाशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 21-42 का हिन्दी अनुवाद

उस रणभूमि में कलिंग राजकुमार ने कलिंगों की सेना साथ लेकर भीमसेन पर आक्रमण किया। भीमसेन ने पहले उसके पिता का वध किया था। इससे उनके प्रति उसका क्रोध बढ़ा हुआ था। उसने भीमसेन को पहले पांच बाणों से बेधकर पुनः सात बाणों से घायल कर दिया। उनके सारथि विशोक को उसने तीन बाण मारे और एक बाण से उनकी ध्वजा छेद डाली। क्रोध में भरे हुए कलिंग देश के उस शूरवीर को कुपित हुए भीमसेन ने अपने रथ से उसके रथ पर कूदकर मुक्के से मारा। युद्धस्थल में बलवान पाण्डुपुत्र के मुक्के की मार खाकर कलिंगराज की सारी हड्डियां सहसा चूर-चूर हो पृथक-पृथक गिर गयी।

परंतप! कर्ण और उसके भाई भीमसेन के इस पराक्रम को सहन न कर सके। उन्होंने विषधर सर्पों के समान विषैले नाराचों द्वारा भीमसेन को गहरी चोट पहुँचायी। तदनन्तर भीमसेन शत्रु के उस रथ को त्याग कर दूसरे शत्रु ध्रुव के रथ पर जा चढ़े। ध्रुव लगातार बाणों की वर्षा कर रहा था। भीमसेन ने उसे भी एक मुक्के से मार गिराया। बलवान पाण्डुपुत्र के मुक्के की चोट लगते ही वह धराशायी हो गया। महाराज! ध्रुव को मारकर महाबली भीमसेन जयरात के रथ पर जा पहुँचे और बारंबार सिंहनाद करने लगे। गर्जना करते हुए उन्होंने बायें हाथ से जयरात को झटका देकर उस थप्पड़ से मार डाला। फिर वे कर्ण के ही सामने जाकर खड़े हो गये। तब कर्ण ने पाण्डुनन्दन भीम पर सोने की बनी हुई शक्ति का प्रहार किया; परंतु पाण्डुनन्दन भीम ने हंसते हुए ही उसे हाथ से पकड़ लिया। दुर्धर्ष वीर वृकोदर ने उस युद्धस्थल में कर्ण पर ही वह शक्ति चला दी; परंतु शकुनि ने कर्ण पर आती हुई शक्ति को तेल पीने वाले बाण से काट डाला। अद्भुत पराक्रमी भीमसेन रणभूमि में यह महान पराक्रम करके पुनः अपने रथ पर आ बैठे और आपकी सेना को खदेड़ने लगे।

राजन! क्रोध में भरे हुए यमराज के समान महाबाहु भीमसेन को शत्रुवध की इच्छा से सामने आते देख आपके महारथी पुत्रों ने बाणों की बड़ी भारी वर्षा करके उन्हें आच्छादित करते हुए रोका। तब युद्धस्थल में हंसते हुए-से भीमसेन दुर्मद के सारथि और घोड़ों को अपने बाणों से मार कर यमलोक पहुँचा दिया। तब दुर्मद दुष्कर्ण के रथ पर जा बैठा। फिर शत्रुओं को संताप देने वाले उन दोनों भाइयों ने एक ही रथ पर आरूढ़ हो युद्ध के मुहाने पर भीमसेन पर धावा किया; ठीक उसी तरह, जैसे वरुण और मित्र ने दैत्यराज तारक पर आक्रमण किया था। तत्पश्‍चात आपके पुत्र दुर्मद (दुधर्ष) और दुष्कर्ण एक ही रथ पर बैठकर भीमसेन को बाणों से घायल करने लगे। तदनन्तर कर्ण, अश्‍वत्‍थामा, दुर्योधन, कृपाचार्य, सोमदत्त और बाह्लीक के देखते-देखते शत्रुदमन पाण्डुपुत्र भीम ने वीर दुर्मद और दुष्कर्ण के उस रथ को लात मारकर धरती में धंसा दिया। फिर आप के बलवान एवं शूरवीर पुत्र दुर्मद और दुष्कर्ण को क्रोध में भरे हुए भीमसेन ने मुक्के से मारकर मसल डाला और वे जोर-जोर से गर्जना करने लगे। यह देख कौरव सेना में हाहाकार मच गया। भीमसेन को देखकर राजा लोग कहने लगे ’ये साक्षात भगवान रुद्र ही भीमसेन का रूप धारण करके धृतराष्ट्र पुत्रों के साथ युद्ध कर रहे हैं’। भारत! ऐसा कहकर सब राजा अचेत होकर अपने वाहनों को हांकते हुए रणभूमि से पलायन करने लगे। उस समय दो व्यक्ति एक साथ नहीं भागते थे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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