यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में देखें अस्वीकरण
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शक्ति अस्त्र का प्रयोग पुराण वर्णित युद्धों में किया जाता था। यह अस्त्र लंबाई में गज भर होता था। इसका हत्था बड़ा और मुँह सिंह के समान होता था, जिसमें बड़ी तेज़ जीभ और पंजे होते थे।
- इस अस्त्र का रंग नीला होता था और उसमें छोटी-छोटी घंटियाँ लगी होती थीं। इसमें लगी घंटियाँ बड़ी भारी होती थीं, जो दोनों हाथों से फेंकी जाती थीं।
- महाभारतकालीन युद्धों में इसका प्रयोग किया जाता था। यह लोहे के छोटे बरछे के समान था, जो दो हाथ लम्बा और भयंकर संहारकारी था।
- युद्ध में यह दोनों हाथों से तिरछी (तिर्यक) गति से फेंका जाता था। इसके फेंकने में छः गतियाँ होती थीं-[1]
- उठाना (तोलन)
- घुमाना (भ्रामण)
- पैंतरा बदलना (बल्गन)
- झुकाना (नामन)
- फेंकना (मोचन)
- घाव करना (भेदन)
- सम्भवतः इसकी नोक मुट्ठी की तरह तीक्ष्ण चौड़ी होती थी।
- महाभारत के अनुसार यह लोहे का बना, सोने से मढ़ा और घण्टियों से सजा होता था। इसके मुख पर तेल लगाया जाता था, जिससे यह आसानी से शत्रु के शरीर में दूर तक घुस जाये।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारतकोश डिस्कवरी पुस्तकालय |संपादन: संजीव प्रसाद 'परमहंस' |पृष्ठ संख्या: 132 |
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