अमोघा अस्त्र

अमोघा नामक अस्त्र का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह अस्त्र ब्राह्मण वेषधारी इंद्र के द्वारा दिव्य कवच और कुण्डल माँगने के समय कर्ण को प्रदान किया था।[1]

  • मध्यान्ह काल में जब कर्ण सूर्योपस्थान करते तो बहुत-से ब्राह्मण दान लेने उनके पास आया करते थे। एक दिन देवराज इन्द्र भी ब्राह्मण का वेश बनाकर आये। कर्ण ने उसकी इच्छा पूर्ण करने को कहा। ब्राह्मण ने सहज उनके कवच और कुण्डल मांग लिये, ‘‘यदि आप सत्यव्रत हैं तो इन्हें मुझे दीजिए।’’ कर्ण ने उसे समझाना चाहा, पर ब्राह्मण वेषधारी इन्द्र न माने। कर्ण ने वे दोनों वस्तुएँ उसे दे दीं। इन्द्र ने भी अपने को भारमुक्त करने के लिए उसे अमोघा नाम की शक्ति दी और कहा कि जिस एक शत्रु पर इसे चलाओगे, उसे मारकर फिर यह मेरे पास लौट आयगी।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल पृ. 298

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