यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में देखें अस्वीकरण
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वैष्णव नारायणास्त्र एक पौराणिक अस्त्र था। यह पाशुपत अस्त्र के समान ही विकराल अस्त्र था।
- महाभारत के युद्ध में पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु से दुःखी होकर अश्वत्थामा ने पांडवों पर इसे चलाया था।
- इस अस्त्र का कोई प्रतिकार ही नहीं है। यह बाण चलाने पर अखिल विश्व में कोई शक्ति इसका मुक़ाबला नहीं कर सकती।
- इसका केवल एक ही प्रतिकार है और वह यह कि शत्रु अस्त्र छोड़कर नम्रतापूर्वक अपने को अर्पित कर दे।
- शत्रु कहीं भी हो, यह बाण वहाँ जाकर ही भेद करता है। इस बाण के सामने झुक जाने पर यह अपना प्रभाव नहीं करता।
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