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पाश अस्त्र महाभारत काल के युद्धों में प्रयुक्त होने वाला अस्त्र था। यह अस्त्र इस्पात के महीन तारों को बटकर बनाया जाता था।
- यह अस्त्र दो प्रकार का होता था-
- वरुणपाश
- साधारणपाश
- इस्पात के महीन तारों को बटकर इस अस्त्र का निर्माण किया जाता था।
- इसका एक सिर त्रिकोणवत होता था। नीचे जस्ते की गोलियाँ लगी होती थीं।
- कहीं-कहीं पाश अस्त्र का दूसरा वर्णन भी मिलता है। वहाँ लिखा है कि यह पाँच गज का होता था और सन, रूई, घास या चमड़े के तार से बनता था। इन तारों को बटकर इसे बनाया जाता था।
- इसका फन्दा 'नीति-प्रकाशिका' के अनुसार एक बित्ता और 'अग्निपुराण' के अनुसार एक हाथ परिधि का होता था। 'नीति-प्रकाशिका' के अनुसार इसकी लम्बाई दस हाथ होती थी।
- पाश अस्त्र के प्रयोग करने में 'फैलाना', 'लपेटना' और 'काटना'- ये तीन क्रियाएँ होतेी थीं। यह आयुध क्षुद्र समझा जाता था।[1]
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- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारतकोश डिस्कवरी पुस्तकालय |संपादन: संजीव प्रसाद 'परमहंस' |पृष्ठ संख्या: 131 |