अक्षय तूणीर महाभारत के उल्लेखानुसार पांडव अर्जुन के पास था, जो उन्हें भगवान शिव से प्राप्त हुआ था।
- महाभारत से पता चलता है कि अर्जुन के पास अक्षय तूणीर था, जिसमें बाण कभी समाप्त नहीं होते थे।
- अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। परशुराम से भी उन्होंने शस्त्र विद्या सीखी थी। हिमालय में तपस्या करते समय किरात वेशधारी शिव से अर्जुन का युद्ध हुआ। शिव से उन्हें 'पाशुपत अस्त्र' और अग्नि से 'आग्नेयास्त्र', 'गांडीव धनुष' तथा 'अक्षय तूणीर' प्राप्त हुआ था।
- पांडवों के महाप्रस्थान के समय अग्नि देव के कहने से अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष तथा अक्षय तूणीर को जल में प्रवाहित कर दिया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज