एकाशीत्यधिकद्विशततम (281) अध्याय: शान्ति पर्व (मोक्षधर्म पर्व)
महाभारत: शान्ति पर्व: एकाशीत्यधिकद्विशततम अध्याय श्लोक 40-44 का हिन्दी अनुवाद
इस प्रकार वृत्रासुर में महादेव जी के ज्वर का आवेश हुआ जान देवता और ऋषि देवेश्वर इन्द्र की स्तुति करते हुए उन्हें वृत्रवध के लिये प्रेरणा देने लगे। युद्ध के समय रथ पर बैठकर ऋषियों के द्वारा अपनी स्तुति सुनते हुए महामना इन्द्र का रूप ऐसा तेजस्वी प्रतीत होता था कि उसकी ओर देखना भी अत्यन्त कठिन जान पड़ता था। इस प्रकार श्रीमहाभारत शान्तिपर्व के अन्तर्गत मोक्षधर्मपर्व वृत्रासुर का वधविषयक दो सौ इक्यासीवाँ अध्याय पूरा हुआ । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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