अष्टम (8) अध्याय: सौप्तिक पर्व
महाभारत: सौप्तिक पर्व: अष्टम अध्याय: श्लोक 18-37 का हिन्दी अनुवाद
उस वीर से ऐसा कहते हुए क्रोधी अश्वत्थामा ने मतवाले हाथी पर चोट करने वाले सिंह के समान अपनी अत्यन्त भयंकर एड़ियों से उसके मर्म स्थानों पर प्रहार किया। महाराज! उस समय मारे जाते हुए वीर धृष्टद्युम्न के आर्तनाद से उस शिविर की स्त्रियां तथा सारे रक्षक जाग उठे। उन्होंने अलौकिक पराक्रमी पुरुष को धृष्टद्युम्न पर प्रहार करते देख उसे कोई भूत ही समझा; इसीलिये भय के मारे वे कुछ बोल न सके। राजन! इस उपाय से धृष्टद्युम्न को यमलोक भेजकर तेजस्वी अश्वत्थामा उसके खेमे से बाहर निकला और सुन्दर दिखायी देने वाले अपने रथ के पास आकर उस पर सवार हो गया। इसके बाद वह बलवान वीर अन्य शत्रुओं को मार डालने की इच्छा रखकर अपनी गर्जना से सम्पूर्ण दिशाओं को प्रतिध्वनित करता हुआ रथ के द्वारा प्रत्येक शिविर पर आक्रमण करने लगा। महारथी द्रोणपुत्र के वहाँ से हट जाने पर एकत्र हुए सम्पूर्ण रक्षकों सहित धृष्टद्युम्न की रानियां फूट-फूटकर रोने लगीं। भरतनन्दन! अपने राजा को मारा गया देख धृष्टद्युम्न की सेना के सारे क्षत्रिय अत्यन्त शोक में मग्न हो आर्तस्वर से विलाप करने लगे। स्त्रियों के रोने की आवाज सुनकर आसपास के सारे क्षत्रिय शिरोमणि वीर तुरंत कवच बांधकर तैयार हो गये और बोले- 'अरे! यह क्या हुआ?' राजन! वे सारी स्त्रियां अश्वत्थामा को देखकर बहुत डर गयी थीं; अत: दीन कण्ठ से बोली- 'अरे! जल्दी दौड़ो! जल्दी दौड़ो! हमारी समझ में नहीं आता कि यह कोई राक्षस है या मनुष्य। देखा, यह पांचालराज की हत्या करके रथ पर चढ़कर खड़ा है।' तब उन श्रेष्ठ योद्धाओं ने सहसा पहुँचकर अश्वत्थामा को चारों ओर से घेर लिया; परंतु अश्वत्थामा ने पास आते ही उन सबको रुद्रास्त्र से मार गिराया। इस प्रकार धृष्टद्युम्न और उसके सेवकों का वध करके अश्वत्थामा ने निकट के ही खेमे में पलंग पर सोये हुए उत्तमौजा को देखा। फिर तो शत्रुदमन उत्तमौजा के भी कण्ठ और छाती को बलपूर्वक पैर से दबाकर उसने उसी प्रकार पशु की तरह मार डाला। वह बेचारा भी चीखता-चिल्लाता रह गया था। उत्तमौजा को राक्षस द्वारा मारा गया समझकर युधामन्यु भी वहाँ आ पहुँचा। उसने बड़े वेग से गदा उठाकर अश्वत्थामा की छाती में प्रहार किया। अश्वत्थामा ने झपटकर उसे पकड़ लिया और पृथ्वी पर दे मारा। वह उसके चंगुल से छूटने के लिये बहुतेरा हाथ-पैर मारता रहा; किंतु अश्वत्थामा ने उसे भी पशु की तरह गला घोंटकर मार डाला। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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