महाभारत विराट पर्व श्रवण-महिमा श्लोक 1-7

विराट पर्व (श्रवण-महिमा)

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महाभारत: विराट पर्व: श्रवण-महिमा श्लोक 1-7 का हिन्दी अनुवाद

पुण्यकर्मा महात्मा पाण्डवों का पवित्र चरित्र सुनकर श्रोताओं को आधि ( मानसिम दुःख ) और व्याधि ( शारीरिक कष्ट )का भय नहीं होता है। अर्जुन के चरित्र का स्मरण करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, सब प्रकार की सम्पदाएँ प्रापत होती हैं और मनुष्य अकेला या असहाय होने पर भी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लेता है। इतना ही नहीं, ( अतिवृष्टि ) ईतियों का नाश होता है और प्रियजनों से कभी वियोग नहीं होता।

विराट पर्व की कथा सुनकर अपने वैभव के अनुसार भाँति - भाँति के वस्त्र, सुवर्ण, धान्य, गौ- ये वरूतुएँ देवताओं की प्रसन्नता के लिये श्रेष्ठ ब्राह्मणों को भेंट करनी चाहिये। वाचक के भली-भाँति संतुष्ट होने पर सब देवता संतुष्ट होते हैं। तत्पश्चात यथायाक्ति घी और मिश्री मिलायी हुई खीर का ब्राह्मणों को भोजन करायें। इस विधि से विराट पर्व सुनने पर श्रोता को उत्तम फल की प्राप्ति होती है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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