महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 108 श्लोक 1-20

अष्‍टाधिकशततम (108) अध्याय: द्रोण पर्व (जयद्रथवध पर्व)

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महाभारत: द्रोण पर्व: अष्‍टाधिकशततम अध्याय: श्लोक 1-20 का हिन्दी अनुवाद


द्रौपदी-पुत्रों के द्वारा सोमदत कुमार शल का वध तथा भीमसेन के द्वारा अल्‍म्‍बुष की पराजय

संजय कहते हैं- राजन! महायशस्‍वी शल ने महाधनुर्धर द्रौपदी के पुत्रों को पांच-पांच बाणों से बींध कर पुन:सात बाणों द्वारा घायल कर दिया। प्रभो! उस भयंकर वीर के द्वारा अत्‍यन्‍त पीड़ित होने के कारण वे सहसा मोहित हो यह नहीं जान सके कि इस समय युद्ध में हमारा कर्त्तव्‍य क्‍या है। तब नकुल के पुत्र शत्रुसूदन शतानीक ने दो बाणों द्वारा नरश्रेष्‍ठ शल को घायल करके बड़े हर्ष के साथ सिंहनाद किया। इसी प्रकार अन्‍य द्रौपदी पुत्रों ने भी समरागड़ण में प्रयत्‍नशील होकर अमर्षशील शल को तुरंत ही तीन तीन बाणों द्वारा बींध डाला। महाराज! तब महायशस्‍वी शल ने उन पर पांच बाण चलाये, जिनमें से एक-एक के द्वारा एक-एक की छाती छेद डाली। फिर महामना शल के बाणों से घायल हुए उन पांचों भाइयों ने उस वीर को रणक्षेत्र में चारों ओर से घेरकर अपने बाणों द्वारा अत्‍यन्‍त घायल कर दिया।

अर्जुनकुमार श्रुतकीर्ति ने अत्‍यन्‍त कुपित हो चार तीखे बाणों द्वारा शल के चारों घोड़ों को यमलोक भेज दिया। फिर भीमसेन के पुत्र सुतसोमन ने पैने बाणों द्वारा महामना सोमदतकुमार के धनुष को काटकर उन्‍हें भी बींध डाला और बड़े जोर से गर्जना की। तदनन्‍तर युधिष्‍ठरकुमार प्रतिविन्ध्‍य ने शल की ध्‍वजा काटकर पृथ्‍वी पर गिरा दी। फिर नकुल पुत्र शतानीक ने उनके सारथि को मारकर रथ की बैठक से नीचे गिरा दिया। राजन! अन्‍त में सहदेव कुमार ने यह जानकर कि मेरे भाइयों ने शल को विमुख कर दिया है, महामनस्‍वी शल के मस्‍त को क्षुरप्र से काट डाला। सोमदत्तकुमार प्रात:काल के सूर्य की भाँति प्रकाशमान सुवर्ण भूषित वह मस्‍तक उस रणभूमि को प्रकाशित करता हुआ पृथ्‍वी पर गिर पड़ा। महाराज! महामना शल के मस्‍तक को कटा हुआ देख आपके सैनिक अत्‍यन्‍त भयभीत हो अनेक दलों में बंटकर भागने लगे। तदननतर जैसे पूर्वकाल में रावणकुमार मेघनाद ने लक्ष्‍मण के साथ युद्ध किया था, उसी प्रकार अत्‍यन्‍त क्रोध में भरे हुए राक्षस अलम्‍बुष ने महाबली भीमसेन के साथ संग्राम आरम्‍भ किया।

उस रणक्षेत्र में उन दोनों मनुष्‍य एवं राक्षस को युद्ध करते देख समस्‍त प्राणियों को अत्‍यन्‍त आश्चर्य और हर्ष हुआ। राजन! फिर भीमसेन ने हंसते हुए नौ पैने बाणों द्वारा ऋष्‍यश्रृंगकुमार अमर्षशील राक्षसराज अलम्‍बुष को घायल कर दिया। तब समरागंण में घायल हुआ वह राक्षस भयंकर गर्जना करके भीमसेन की ओर दौड़ा। उसके सेवकों ने भी उसी का साथ दिया। उसने झुकी हुई गांठवाले पांच बाणों द्वारा भीमसेन को घायल करके उनके साथ आये हुए तीन सौ रथियों का समर भूमि में शीघ्र ही संहार कर डाला। फिर चार सौ योद्धाओं को मारकर भीमसेन को भी एक बाण से घायल किया। इस प्रकार राक्षस के द्वारा अत्‍यन्‍त घायल ‍किये जाने पर महाबली भीमसेन मूर्च्छित हो रथ की बैठक में गिर पड़े। तदनन्‍तर पुन: होश में आकर क्रोध से व्‍याकुल हुए वायु पुत्र भीम ने भार वहन करने में समर्थ, उत्तम तथा भयंकर धनुष तानकर पैने बाणों द्वारा सब ओर से अलम्‍बुष को पीड़ित कर दिया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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