महाभारत विराट पर्व अध्याय 46 श्लोक 12-24

षट्चत्वारिंश (46) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: षट्चत्वारिंश अध्याय: श्लोक 12-24 का हिन्दी अनुवाद


तुमने बहुत बार शंख ध्वनि सुनी होगी। रण भेरियों के भयंकर शब्द भी बहुत बार तुम्हारे कानों में पड़े होंगे और व्यूहबद्ध सेनाओं में खड़े हुए चिग्घाड़ने वाले गजराजों के शब्द भी तुमने सुने ही होंगे। फिर यहाँ इस शंखनाद से तुम भयभीत कैसे हो गये ? साधारण मनुष्यों के समान अणिक डर जाने के कारण तुम्हारे शरीर का रंग फीका कैसे पड़ गया ?। उत्तर ने कहा - वीरवर! इसमें संदेह नहीं कि मैंने बहुत बार शंख ध्वनि सुनी है। रण भेरियों के भयंकर शब्द भी बहुत बार मेरे कानों में पड़े हैं और व्यूहबद्ध सेनाओं में ख्ड़े हुए चिग्घाड़ने वाले गजराजों के शब्द भी मैंने सुने हैं। परंतु आजके पहले कभी ऐसा भयंकर शंखनाद मेरे सुनने में नहीं आया था और ध्वज का भी ऐसा रूप मैंने कभी नहीं देखा था। धनुष की ऐसी टंकार भी पहले कभी मैने नहीं सुनी थी। इस शंख के भयानक शब्द से, धनुष की अनुपम टंकार से, ध्वजा में निवास करने वाले मानवेतर प्राणियों के घोर शब्द से तथा रथ की भारी घर्घराहट से भी डरकर मेरा हृदय बहुत व्याकुल हो उठा है। सम्पूर्ण दिशाओं में घबराहट छा गयी है तथा मेरे हृदय में बड़ी व्यथा हो रही है, इस ध्वज ने तो समस्त दिशाओं को ढँक लिया है। अतः मुझे किसी दिशा की प्रतीति नहीं हो रही है। गरण्डीव धनुष की अंकार से तो मेरे दोनों कान बहरे हो गये हैं। इस प्रकार दो घड़ी तक आगे बढ़ने पर अर्जुन ने विराट कुमार उत्तर से कहा -।

अर्जुन बोले - राजकुमार! अब तुम रथ पर अचछी तरह जम कर बैठ जाओ और अपनी टाँगों से बैठने के स्थान को जकड़ लो। साथ ही घोड़ों की रास को दृढ़ता पूर्वक पकड़े रहो। मैं फिर शंख बजाऊँगा।

वैशम्पायनजी कहते हैं - जनमेजय! तब अर्जुन ने इतने जोर से शंख बजाया मानो वे पर्वतों, पर्वतीय गुफाओं, सम्पूर्ण दिशाओं और बड़ी-बड़ी चट्टानों को भी विदीर्ण कर डालेंगे। उत्तर इस बार भी रथ के भीतरी भाग में छिपकर बैठ गया।। उस शंख के शब्द से, रथनेमियों की घर्घराहट से तथा गाण्डीव धनुष की टंकार से धरती काँप उठी। तदनन्तर अर्जुन ने उत्तर को पुनः धीरज बँधाया। ( यह शंख ध्वनि सुनकर कौरव सेना में ) द्रोणाचार्य ने कहा - जैसी यह रथ की घर्घराहट सुनायी दे रही है, जिस तरह उससे मेघ गर्जना का सा शब्द हो रहा है और उसी के कारण जिस प्रकार यह पृथ्वी काँपने लगी है, इनसे यह सूचित होता है कि यह आने वाला योद्धा अर्जुन के सिवा दूसरा कोई नहीं है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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